पाकिस्तान के बाद अब चीन में भी महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है कि नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Consumer Price Index) पर आधारित महंगाई 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. वहीं, इससे पहले महीने यानी अक्टूबर में यह 3.8 फीसदी पर थी. यह जनवरी, 2012 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है. आपको बता दें कि अगस्त, 2018 से स्वाइन बुखार फैलने के बाद चीन में पोर्क की आपूर्ति बाधित हुई है. इससे नवंबर में पोर्क की कीमतों में 110.2 फीसदी का उछाल आया है. इसके अलावा चीन में प्रोटीन के अन्य उत्पादों के दाम भी बढ़े हैं. चीन का 2019 के लिए उपभोक्ता मुद्रास्फीति का लक्ष्य तीन फीसदी का है.
लोगों के डूबे करोड़ों रुपये- CNBC के मुताबिक, चीन में महंगाई बढ़ने से दुनियाभर के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है. जापान का प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निक्केई, चीन का शंघाई इंडेक्स, हांगकांग का हैंगसैंग इंडेक्स, ऑस्ट्रेलिया एयूएक्स और भारत के सेंसेक्स और निफ्टी में 0.50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है. बाजार में गिरावट से निवेशकों को करोड़ों का नुकसान हुआ. इससे निक्केई, शंघाई इंडेक्स, हैंगसेंग इंडेक्स का मार्केट कैप गिर गया.
क्या है मसला
अगस्त, 2018 से अफ्रीकन स्वाइन बुखार (African swine Fever Epidemic) फैलने के बाद चीन सरकार ने स्थानीय स्तर पर सूअर पालकों से सूअरों को मार देने का अनुरोध किया. तब पूरे देश में लगभग 9 लाख सूअर मार दिए गए. सूअरों के मारे जाने से चीन में पोर्क की आपूर्ति बाधित हुई है. इससे नवंबर में पोर्क की कीमतों में 110.2 प्रतिशत का उछाल आया
इन बड़े सूअरों की कीमत आम सूअरों से 3 गुना तक ज्यादा है. पोर्क की भारी कमी को पूरा करने के लिए सूअर पालने वाले लोग सामान्य आकार के सूअरों की बजाए बड़े आकार के सूअरों पर जोर दे रहे हैं और ब्रीडिंग के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोटीन उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियां जैसे wens foodstuff group और cofco meat holdings limited ने भी अपने यहां सूअर पालन में कई बदलाव किए हैं जो उनके वजन और आकार से जुड़े हुए हैं. गौरतलब है कि चीन दुनियाभर में पोर्क मीट का उत्पादन करने और उसे कंज्यूम करने में भी सबसे आगे है. चीन के बाद अमेरिका और फिर जापान का नंबर आता है. बीमारी से पहले साल 2017 में चीन में लगभग 70 करोड़ सूअर काटे गए और उनका मीट बाजार में पहुंचा.