एक ग्रह का नामकरण एक भारतीय के सम्मान में, चांद पर उगा कपास का पौधा और मिल गए इंसान के नए पूर्वज

साल 2019 विज्ञान के लिए बड़ी उपलब्धियों के नाम रहा। पहली बार महिलाओं ने अंतरिक्ष में चहलकदमी और चीन ने चांद कपास का पौधा उगाया। आर्य भारतीय थे या विदेशी, हजारों साल पुराने इस सवाल का जवाब मिला। वैज्ञानिकों ने टायफॉयड और इबोला वायरस के संक्रमण से बचाने का तोड़ निकाला और इंसानों की नई प्रजाति ढूंढी। साइंस फ्लैशबैक 2019  में पढ़िए विज्ञान की चौकाने वाली ही घटनाएं...


उपलब्धि : पहली बार चांद पर चीन ने उगाया कपास


जनवरी : चीन ने अपने चैंगे-4 मिशन के जरिए चांद पर कपास का पौधा उगाया। मून लैंडर के जरिए कपास और आलू के बीज भेजे गए थे लेकिन सिर्फ कपास का पौधा विकसित हो पाया। प्रयोग 18 सेमी लंबे और 3 किलो के कंटेनर में हुआ था जिसे 28 चीनी यूनिवर्सिटी ने मिलकर तैयार किया था। मकसद था वैज्ञानिक लंबे स्पेस मिशन के दौरान साइंटिस्ट पौधे उगाने की और कोशिशें करेंगे। वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल तापामान को नियंत्रित करना था क्योंकि चांद पर -173C से 100C के बीच तापमान में अंतर होता है। लेकिन द गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया कि चांद पर उगाया गया पहला कपास का पौधा रात में तापमान माइनस 170 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की वजह से मर गया।


खोज : वैज्ञानिकों ने खोजी इंसान की प्रजाति, नाम रखा होमो लूजोनेसिस


अप्रैल : वैज्ञानिकों ने फिलीपींस की एक गुफा में इंसान की एक नई प्रजाति के अवशेष मिले हैं। नाम रखा गया होमो लूजोनेसिस। वैज्ञानिकों का मानना था कि इस प्रजाति का सम्बंध अफ्रीका से जुड़े हो सकते हैं जो बाद में दक्षिण पूर्व एशिया में आकर बसे होंगे। रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया कि ये अवशेष 67 हजार साल पुराने हैं। जो तीन हिस्से दांत, हाथ और पैरों की हड्डियों के रूप में मिले हैं। इनके हाथ और पैरों की अंगुलियां अंदर की ओर मुड़ी हुई हैं जो बताते हैं कि ये कभी पेड़ पर चढ़ते रहे होंगे। 


सबसे बड़ा बदलाव : दुनिया के 101 देशों में बदली किलोग्राम की परिभाषा


मई : किलोग्राम के साथ केल्विन, मोल और एम्पियर की परिभाषा बदने के प्रस्ताव को देश ने स्वीकारा। एक किलो को प्लांट कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा हालांकि इसका आम जीवन से जुड़ाव नहीं था। 20 मई को विश्व नाप-तौल विज्ञान दिवस के मौके पर 101 देशों ने किलोग्राम की नई परिभाषा को अपनाया गया। किलोग्राम को पहली बार 1795 में परिभाषित किया गया था। 1889 में इसे बदला गया था।  भारत समेत दुनिया के 101 देशों में सोमवार से किलोग्राम यानी किलो की परिभाषा बदल गई है। अब एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। हालांकि, इसका असर आम जीवन पर नहीं पड़ेगा। किलोग्राम को पहली बार 1795 में डिफाइन किया गया था। 1889 में इसे बदला गया था।


अंतरिक्ष में जस'राज' : पहली बार भारतीय के नाम पर अंतरिक्ष के एक ग्रह का नाम रखा गया


सितम्बर : 13 साल पहले खोजे गए एक ग्रह का नाम शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के नाम पर रखा गया। यह पहला मौका था। ग्रह की खोज नासा और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की थी। इस ग्रह का नम्बर पंडित जसराज की जन्म तिथि से उलट था। उनकी जन्मतिथि 28/01/1930 जबकि ग्रह का नम्बर 300128 था। नासा का कहना था कि पंडित जसराज ग्रह हमारे सौरमण्डल में गुरु और मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। 


मुहर : आर्य भारत के ही निवासी थे, हरियाणा में हुई खोज में हुआ खुलासा


सितम्बर 2019 : आर्य भारत के निवासी थे या विदेशी, दशकों से पूछे जा रहे सवाल का जवाब मिला। हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हुई खुदाई में इसकी पुष्टि हुई। यहां हड़प्पाकालीन सभ्यता की खुदाई में 5 हजार साल पुराने कंकालों का अध्ययन और डीएनए टेस्ट हुआ। रिपोर्ट में सामने आया कि आर्य भारत के ही निवासी थे। भारतीयों के जीन में पिछले हजारों सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 9 हजार साल पहले भारतीयों ने ही कृषि की शुरुआत की थी। जो बाद में ईरान और इराक होते हुए दुनिया तक पहुंची। 


महिला शक्ति : पहली बार महिलाओं ने की अंतरिक्ष में स्पेस वॉक


अक्टूबर : अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच और जेसिका मीर पावर ने एक साथ स्पेसवॉक कर इतिहास रच दिया। क्रिस्टीना और जेसिका नेटवर्क के खराब हिस्से को ठीक करने के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से बाहर निकलीं। ऐसा पहली बार हुआ, जब स्पेसवॉक में केवल महिलाएं ही थीं। उनके साथ कोई पुरुष अंतरिक्ष यात्री नहीं था। यह स्पेसवॉक पहले मार्च में होनी थी, लेकिन मध्यम आकार का कोई सूट न होने की वजह से इसे टालनी पड़ी थी। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर कोच ने मिशन और साथी अंतरिक्ष यात्री मीर को लीड किया। मीर मरीन साइंस में डॉक्टरेट हैं और यह उनका पहला स्पेसवॉक है।


टायफाइड का तोड़ : पाकिस्तान टायफाइड का नया टीका विकसित करने वाला पहला देश बना


नवंबर : पाकिस्तान टायफाइड का नया टीका विकसित करने वाला पहला देश बना और नाम रखा टायफाइड कॉन्जूगेट वैक्सीन (टीसीवी)। यह टायफाइड के एक प्रकार- एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंस ड्रग (एक्सडीआर) में प्रभावी है। पाकिस्तान में नवंबर 2016 में टायफाइड बुखार ने 11 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया था। सबसे ज्यादा प्रकोप सिंध प्रांत में था। यह सल्मोनेला टायफी बैक्टीरिया से होता है। विशेषज्ञों ने इसे ‘सुपरबग’ नाम दिया था। इससे पीड़ित 100 में से औसतन 20 मरीजों की मौत हो रही थी।


कारगर हथियार : सबसे घातक इबोला वायरस को मात देने के लिए पहली बार बना टीका




दिसंबर : वैज्ञानिकों ने घातक इबोला वायरस का 100 फीसदी प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी घोषणा, कहा- यह इबोला के प्रकोप से निपटने का सबसे कारगर हथियार। इबोला सबसे घातक वायरस है। आरवीएसवी-जेडईबीओवी नामक टीके का परीक्षण पिछले साल 11,841 लोगों पर किया गया था। टीका लेने वाले 5,837 लोगों में टीकाकरण के 10 दिन बाद इबोला का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। जिन लोगों को टीका नहीं मिला था, उनमें 23 मामले ऐसे थे, जिनमें इबोला का संक्रमण पाया गया। इबोला संक्रमण की सबसे पहली पहचान सूडान और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में वर्ष 1976 में की गई थी। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप गुआना, सिएरा लियोन, लाइबेरिया और नाइजीरिया में रहा है।